परछाई
Thursday, April 7, 2011
मुझे पंख मिल गए है....
" सुबह की किरणों को रोकें जो ,सलाखें है कहाँ
जो ख्यालों पे पहरे डाले वो आँखें है कहाँ
पर खुलने की देरी है ,परिंदे उड़ के झूमेंगे,
आसमां आसमां आसमां....!"
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